क्या आप चीजें रखने के बाद अक्सर भूल जाया करते हैं या फिर आपको किसी चीज को याद करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, अगर इन सवालों का जवाब हां में है तो आप अल्जाइमर रोग के शिकार हो सकते हैं। आज अल्जाइमर रोग दुनियाभर में तेजी से बढ़ते न्यूरोलॉजिकल विकारों में से एक है। इसे डेमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार भी माना जाता है। अल्जाइमर रोग के कारण लोगों का दैनिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है। अल्जाइमर के कई कारण होते हैं। इसमें सबसे बड़ा रिस्क ऐसे लोगों को होता है जिन्हें पहले से ही डायबिटीज हाइपरटेंशन, थायराइड और किसी भी तरह की क्रॉनिक डिजीज हो। ऐसे में जानते हैं आखिर क्या है अल्जाइमर रोग, इसके लक्षण और बचाव के उपाय।
क्या है अल्जाइमर
वरीष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक एवं भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार अल्जाइमर भूलने की बीमारी है। इसके लक्षणों में याददाशत की कमी होना, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और धीरे-धीरे रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें भूलने लगना आदि सभी अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सिर में चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थाई इलाज नहीं है। लेकिन आप माइंड मैनेजमेंट, हेल्दी लाइफ स्टाइल और नशे से दूरी जैसे एहतियात बरतकर अल्जाइमर और डिमेंशिया से बच सकते हैं। अल्जाइमर्स डिजीज डिमेंशिया का ही एक प्रकार है। डिमेंशिया की तरह अल्जाइमर्स में भी मरीज को कई भी वस्तु, व्यक्ति या घटना को याद रखने में परेशानी महसूस होती है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी दिक्कत महसूस होती है।
मल्टीपल डिजीज भी एक बड़ा कारण
अल्जाइमर के कई कारण होते हैं। इसमें सबसे बड़ा रिस्क ऐसे लोगों को होता है जिन्हें पहले से ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन, थायराइड और किसी भी तरह की क्रॉनिक डिजीज हो। इसके अलावा अव्यवस्थित जीवनशैली जैसे शराब, सिगरेट, समय से खाना न खाना, तनाव, परिवार में किसी की अल्जाइमर होने की हिस्ट्री। इसके अलावा पोषण संबंधित फैक्टर जैसे विटामिन बी की कमी, अकेलापन, मानसिक रूप से किसी बीमारी से ग्रसित होना। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ तमाम लोगों में मस्तिष्क की कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) सिकुड़ने लगती है। नतीजन न्यूरॉन्स के अंदर कुछ केमिकल्स कम हो जाते हैं और कुछ केमिकल्स ज्यादा हो जाते हैं। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में अल्जाइमर्स डिजीज कहते हैं। अन्य कारणों में 30 से 40 फीसदी मामले आनुवांशिक होते हैं। इसके अलावा हेड इंजरी, वायरल इंफेक्शन और स्ट्रोक में भी अल्जाइमर जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन ऐसे लक्षणों को अल्जाइमर्स डिजीज नहीं कहा जा सकता।
ब्रेन केमिकल्स में कमी
ब्रेन सेल्स जिस केमिकल का निर्माण करती हैं, उसे एसीटाइलकोलीन कहते हैं। जैसे-जैसे ब्रेन सेल्स सिकुड़ती जाती है, वैसे-वैसे एसीटाइलकोलीन के निर्माण की प्रक्रिया कम होती जाती है। दवाओं के जरिये एसीटाइलकोलीन और अन्य केमिकल्स के कम होने की प्रक्रिया बढ़ाया जाता है। बढ़ती उम्र के साथ ब्रेन केमिकल्स का कम होते जाना एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है लेकिन अल्जाइमर्स डिजीज में यह न्यूर केमिकल कहीं ज्यादा तेजी से कम होता है। इस रोग को हम क्योर (यहां आशय रोग को दूर करने से हैं) नहीं कर सकते, लेकिन दवा देने से रोगी को राहत जरूर मिलती है। पॉजीट्रॉन इमीशन टोमोग्राफी (पीईटी) जांच से इस रोग का पता चलता है। एमआरआई जांच भी की जाती है।
बात इलाज की
डॉ. द्विवेदी के अनुसार मस्तिष्क कोशिकाओं में केमिकल्स की मात्रा को संतुलित करने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है। दवाओं के सेवन से रोगियों की याददाश्त और उनकी सूझबूझ में सुधार होता है। दवाएं जितनी जल्दी शुरू की जाएं उतना ही फायदेमंद होता है। दवाओं के साथ-साथ रोगियों और उनके परिजनों को काउंसलिंग की भी आवश्यकता होती है। काउंसलिंग के तहत रोगी के लक्षणों की सही पहचान कर उसके परिजनों को उनसे निपटने की सटीक व्यावहारिक विधियां बतायी जाती हैं।
लक्षणों पर रखें नजर
अगर किसी व्यक्ति को अल्जाइमर्स डिजीज से संबंधित न्निलिखित कोई लक्षण महसूस हों, तो उसे शीघ्र ही विशेषज्ञ डॉटर (न्यूरोफिजीशियन या न्यूरो सर्जन) से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर सबसे पहले यह निश्चित करते हैं कि वास्तव में ये लक्षण डिमेंसिया के हैं या अल्जाइमर्स के हैं या फिर किसी और कारण से हैं। अल्जाइमर्स के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं… स्मरण शक्ति में कमी के कारण पीडि़त व्यक्ति कई बातें भूलने लगता है। जैसे- नहाना भूल जाना। नाश्ता किया है या नहीं, यह भूल जाना। दवा खाई है या नहीं यह भूल जाना। घर के लोगों के नाम भूल जाना या याद न रख पाना। वस्तुओं या जगह का नाम न याद रहना। जैसे गिलास है तो कटोरी कहना। अपने घर का रास्ता भूल जाना। संख्याओं को याद न रखना। अपने सामान को रखकर भूल जाना। अत्यधिक चिड़चिड़ापन महसूस करना। एक ही काम को अनेक बार करना या एक ही बात को बार-बार पूछते रहना। बात करते समय रोगी को सही शद, विषय व नाम ध्यान में नहीं रहते।
अल्जाइमर के खतरे को कम कर सकती है हल्दी
डॉ. द्विवेदी के अनुसार गुणों से भरपूर हल्दी की एक और खूबी सामने आई है। नए शोध का दावा है कि भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्दी से बढ़ती उम्र में स्मृति को बेहतर करने के साथ ही भूलने की बीमारी अल्जाइमर के खतरे को कम किया जा सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया पीडि़तों के मस्तिष्क पर करक्यूमिन सप्लीमेंट के प्रभाव पर गौर किया। करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला एक रासायनिक कम्पाउंड है। पूर्व के अध्ययनों में इस कम्पाउंड के सूजन रोधी और एंटीआक्सीडेंट गुणों का पता चला था। संभवत: यही कारण है कि भारत के बुजुर्गों में अल्जाइमर की समस्या कम पाई जाती है।
परिजन रोगी को सक्रिय जीवन जीने के लिए प्रेरित करें : डॉ. चतुर्वेदी
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. वैभव चतुर्वेदी के अनुसार याददाश्त में कमी की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को डॉक्टर के परामर्श से नियमित रूप से दवा लेनी चाहिए। अल्जाइमर्स के कुछ कारणों का इलाज सर्जरी से सफलतापूर्वक किया जा सकता है। जैसे सबड्यूरल हिमेटोमा, नार्मल प्रेशर हाइड्रोसेफेलस और ब्रेन ट्यूमर या सिर की चोट आदि कारणों से अगर व्यक्ति अल्जाइमर्स से ग्रस्त हो जाता है, तब कुछ मामलों में सर्जरी से सफलता मिलती है। इसके अलावा मरीजों और उनके परिजनों को कुछ अन्य बातों पर भी ध्यान देना जरूरी है… जैसे परिजन रोगी को सक्रिय जीवन जीने के लिए प्रेरित करें। आसपास के वातावरण को खुशनुमा बनाएं। थोड़ा शारीरिक परिश्रम करें। खुद को कैसे खुश रखना है, इस बारे में सोचें। अगर डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो अपना खानपान नियमित रखें और समय पर दवाएं लें। इसके अलावा परिजन को ध्यान देने की जरूरत है। अल्जाइमर्स डिजीज से पीडि़त रोगियों की सुरक्षा का पहलू अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसे रोगी असर घर से बाहर निकल जाते हैं और भटक जाते हैं। ऐसे में रोगी की जेब में पहचान पत्र रखें या उन्हें फोन नंबर लिखा हुआ लॉकेट पहनाएं। रोगी असर गिर पड़ते हैं और चोटिल हो जाते है। इसलिए रोगी को मजबूत छड़ी या वॉकर दें। रोगी की दिनचर्या को सहज व नियमित रखने का प्रयास करें।